MOSFET क्या है और कैसे काम करता है

मॉस्फेट (MOSFET) क्या है और कैसे काम करता है

आज के इस पोस्ट के अंदर हम बात करेंगे MOSFET क्या है इसके बारे में। MOSFET आजकी दिन में बहुत ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आम तौर पर इसके इस्तेमाल से सिग्नल को switch या amplify किया जा सकता है। इस यंत्र का नाम है “MOSFET”।

अगर आप मोसफेट के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि इसके अंदर हम MOSFET की परिभाषा, MOSFET के प्रकार, MOSFET काम कैसे करता है, MOSFET के लाभ व हानि, आदि।

तो चलिए एक-एक करके इन सभी के बारे में जानना शुरू करते हैं।

MOSFET क्या हैं

MOSFET का पूरा नाम metal-oxide-semiconductor field effect transistor है एवं मुख्य रूप से किसी भी सर्किट के वोल्टेज को स्विच या amplify करने का काम करता है।

देखा जाए तो एक तरह से यह Transistor का ही भाग होता हैं। MOSFET को बनाने का विचार BJT (Bipolar Junction Transistor) से प्रेरित होकर लिया गया है।

यह एक सेमीकंडक्टर यंत्र है जिसकी मदद से कंप्यूटर या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को नियंत्रण किया जा सकता है।

यहां तक कि अगर आप चाहे तो इसकी मदद से Desktop या laptop का मदरबोर्ड भी देख सकते हैं।

पहले MOSFET को बनाने के लिए Polysilicon का प्रयोग किया जाता था लेकिन अब उसकी जगह “Metal Oxide” ने ले ली। इसको हम Analog और Digital दोनो प्रकार के सर्किट में इस्तेमाल कर सकते हैं।

MOSFET का अविष्कार 1959 अमेरिका के Bell Labs नामक स्थान पर Mohamed Atalla और Dawon Kahng द्वारा किया गया था।

यह अलग अलग pin में उपलब्ध है जैसे 3 पिन, 4 पिन, 8 पिन। MOSFET के तीन टर्मिनल्स होते हैं: (i) Source (ii) Gate (iii) Drain

MOSFET की बनावट (Construction)

MOSFET की संरचना में gate को oxide layer के साथ जोड़कर substrate में लगा दिया जाता है। यह oxide की परत insulator के रूप में काम करती हैं इसलिए इसको IGFET (insulated gate field effect transistor) के नाम से भी जाना जाता है।

इसमें कम dope किया हुआ substrate को ज्यादा dope किए हुआ क्षेत्र में विस्तृत कर दिया जाता है। इसी उपयोग के आधार पर हम MOSFET को p type या n type कह सकते हैं।

Modes Of MOSFET

MOSFET दो तरीके से काम करता है: (i) depletion mode (ii) enhancement mode

1)Depletion mode

जब gate टर्मिनल पर शून्य वोल्टेज होने पर अधिकतम चालकता दिखाता है वहीं दूसरी ओर जब गेट पर पॉजिटिव या नेगेटिव वोल्टेज होता है चैनल की चालकता काम दिखाई देती है। इसी को डिप्लीशन मोड कहा जाता है।

इसका प्रयोग यंत्र को ऑफ करने के लिए किया जाता है। Depletion mode को आगे अन्य दो भागों में बांटा गया है: (i) N-Channel Depletion mode (ii) P-Channel Depletion mode

2)Enhancement Mode

इस मोड में गेट टर्मिनल कोई वोल्टेज ना होने के कारण MOSFET काम नहीं करता और ना ही कोई प्रवाह बहता है। जैसे ही गेट पर वोल्टेज बढ़ता है तो MOSFET की चालकता भी बढ़ जाती है।

इसका इस्तेमाल किसी भी यंत्र को On करने के लिए होता है। यह mode भी दो भागों में बाटा गया है: (i) N-Channel Enhancement mode (ii) P-Channel Enhancement mode

MOSFET कैसे काम करता है

MOSFET का मुख्य काम source और drain के बीच विदुर प्रवाह (current flow) वोल्टेज को नियंत्रण करने का होता है। MOS Capacitor जो कि MOSFET का एक मुख्य अंग होता है उसमें oxide की परत के नीचे अर्धचालक सतह Source और drain के टर्मिनल्स पर होती हैं।

इस सतह के gate टर्मिनल पर पॉजिटिव या नेगेटिव वोल्टेज देने पर p-type से n-type मैं बदला जा सकता है।

सबसे पहले हम DC voltage source को दोनों n-type region के साथ जोड़ना होगा। जो n-type region पॉजिटिव टर्मिनल के साथ जुड़ा होगा उसे हम Drain कहेंगे वहीं दूसरी ओर जो n-type region नेगेटिव टर्मिनल के साथ जुड़ा होगा उसे हम Source कहेंगे।

जैसे ही drain और source को DC voltage source के साथ जोड़ेंगे, दो P-N junction बन जाएंगे। एक जंक्शन N-type drain और p-type base के बीच होग जबकि दूसरा p-type base और N-type source होता हैं।

Drain में base के मुकाबले ज्यादा voltage होता हैं क्योंकि वह source के पॉजिटिव टर्मिनल से जुड़ा होता हैं। इसे हम Reverse biased भी कहते हैं।

वही दूसरी ओर source बैटरी के नेगेटिव टर्मिनल से जुड़ा होता है p-type base ज्यादा potential पर रहेगा n-type source के मुकाबले में। अतः इसे हम फॉरवर्ड biased भी कहते हैं।

देखा जाए तो, वास्तव में, drain और source के बीच में कोई भी निरंतर प्रवाह नहीं है।

जब हम पॉजिटिव gate voltage लागू करते हैं तब ऑक्साइड की परत के नीचे मौजूद hole एक प्रतिकारक बल की वजह से substrate में धकेल दिया जाते हैं। नेगेटिव आवेश की जनसंख्या की इस में काफ़ी वृद्धि हो जाती है। इससे यह इलेक्ट्रॉन की बहुमत वाला चैनल बन जाता है।

धनात्मक आवेश n source और drain से electrons को आकर्षित करते हैं।

अगर हम drain और source के बीच वोल्टेज लागू कर दे तो धारा बिना किसी रूकावट के इन दोनों के बीच में प्रवाहित होगी और gate वोल्टेज चैनल में electrons को नियंत्रण करने का काम करेगी। अगर हम पॉजिटिव वोल्टेज की जगह नेगेटिव वोल्टेज लागू करे तो एक hole चैनल oxide की परत के नीचे बन जाएगा।

MOSFET की पहचान कैसे करें: How To Identify

अगर हम multimeter के black prob को drain पर रखेंगे तथा red probe को source पर रखेंगे जिसमे multimeter पर कुछ value देखने को मिलेगी।

लेकिन red prob को gate पर लगाने से कोई वैल्यू नहीं दिखाई देती है तो इसे हम N-Channel MOSFET कहते हैं।

जब हम multimeter के red prob को drain पर रखेंगे तथा black probe को source पर रखेंगे जिसमे multimeter पर कुछ value देखने को मिलेगी।

इसी तरह black prob को gate पर लगाने से कोई वैल्यू दिखाई देता है तो इसे हम P-Channel MOSFET कहते हैं।

MOSFET के प्रयोग: Uses Of MOSFET

  • इसका इस्तेमाल कंप्यूटर में पावर सप्लाई के रूप में किया जाता है।
  • किसी भी सिग्नल की आवाज तिरंगे आदि को बढ़ाने के लिए हर प्रकार के एंपलीफायर में भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  • MOSFET की मदद से DC मोटर को नियंत्रित किया जाता है।
  • जिन उपकरणों में फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल होता है उन सभी में भी मॉसफेट का इस्तेमाल होता है।
  • इसके अलावा मॉसफेट को स्विच के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • मॉसफेट को switch mode power supply (SMPS) में भी इस्तेमाल किया जा सकता हैै।

MOSFET के प्रकार: Types Of MOSFET

MOSFET दो प्रकार के होते है:

(i)P-Channel MOSFET (ii) N-Channel MOSFET

P-Channel MOSFET

P-Channel MOSFET में ड्रेन और बॉडी जुड़े होते हैं। जब गेट और सोर्स को एक बैटरी से जोड़ा जाता है तो बॉडी में फ्री इलेक्ट्रोंस ग्राउंड की तरफ जाने लगते हैं और इलेक्ट्रॉन जमा हो जाते हैं।

इसमें ज्यादातर होल्स होते हैं जोकि करंट को एक ओर से दूसरी ओर लेकर जाते हैं।

N-Channel MOSFET

यह ज्यादातर ऑन या ऑफ का काम करता है। नेगेटिव रीचार्ज इलेक्ट्रॉन के फ्लोर की वजह से इसमें करंट फ्लो होता है। पॉजिटिव गेट वोल्टेज n+ source से इलेक्ट्रोंस को खींचता है और चैनल की ओर भेज देता है।

MOSFET के लाभ:Pros Of MOSFET

  • आकार कम करने की क्षमता और प्रति चिप की सतह क्षेत्र में अधिक कॉम्पोनेंट्स के बाद भी बिजली कम खपत होती है।
  • JEFTs की तुलना में MOSFET उच्च गति में संचालन करने में समर्थ है।
  • MOSFET का निर्माण बहुत आसानी से कर सकते हैं।

MOSFET के हानि: Cons Of MOSFET

  • इन का जीवनकाल बहुत ही छोटा होता है।
  • मॉसफेट को इंस्टॉल करते समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि यह अति संवेदनशील होते हैं।

आगे पढें: (Diode) डायोड क्या है और कैसे काम करता है?

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए पोस्ट में हमने मॉसफेट के बारे में बहुत ही विस्तार से जाना। इसके बाद भी यदि आपको मॉसफेट से जुड़ी कोई भी जानकारी में दुविधा हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

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आगे पढ़िए : (i) कैपेसिटर (Capacitor) क्या हे और कैसे काम करता हे ?

(ii) रेजिस्टेंस (Resistance) क्या हे और कैसे काम करता हे ?

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MOSFET Kya Hota Hai in Hindi FAQ

1)क्या सभी MOSFET एक जैसे होते हैं?

MOSFET को FET का एक प्रकार माना जाता है। वास्तव में FETs और MOSFETs में कुछ खास अंतर नहीं होता।

2)एक अच्छा MOSFET में कितने वोल्टेज की रीडिंग होनी चाहिए?

एक अच्छा MOSFET के अंदर 0.4 V से 0.9 V के बीच पठन होना चाहिए। यदि यह शून्य है तो MOSFET खराब है।

3)MOSFET के कौन से मुख्य अंग होते हैंं?

श्रोत(Source), गेट (Gate), ड्रोन (Drain), बॉडी (Body)

1 thought on “MOSFET क्या है और कैसे काम करता है”

  1. मैं भी एक छोटा सा टेक्नीशियन हूं सर जी आपके समझाने का तरीका बहुत ही ज्यादा अच्छा है। धन्यवाद

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