(Capacitor) कैपेसिटर क्या है और कैसे काम करता है?

Capacitor kya hai aur kaise kaam karta hai

हेलो दोस्तों, आज के इस पोस्ट में हम कैपेसिटर क्या है और उससे जुड़ी और भी जानकारी के बारे में विस्तार में जानेंगे जैसे कि कैपेसिटर (Capacitor)कैसे काम करता है, कैपेसिटर का कार्य, फ़ायदे, और कैपेसिटर के प्रकार|

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कैपेसिटर एक energy storing device हैं जिसमें energy इलेक्ट्रिकल चार्ज (electrical charge) के फॉर्म में स्टोर होता है। यह passive electrical component को कंडेनसर (condenser) के नाम से भी जाना जाता है।

इसका आविष्कार 1745 में जर्मन के physicist Edward John Kleist के द्वारा हुआ हैं।अगर आप अपने घर में कूलर या पंखे के मोटर देखेंगे तो उसमें एक वाइट कलर का इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट होता है जिसे हम condenser या capacitor कहते हैं।

कैपेसिटर बहुत तेजी से चार्ज या डिस्चार्ज हो जाता है यही वजह से यह लगभग हर सर्किट (circuit)बोर्ड में इस्तेमाल किया जाता है।

कैपेसिटर (Capacitor) क्या है?

कोई भी सर्किट तीन fundamental electronic component से बना होता है : resistor, inductor, और capacitor।

जैसा कि हमने जान लिया हैं कि capacitor एक energy storing डिवाइस है लेकिन अब यह सवाल आता है कि वह कब तक hold करके रखता है?

जब भी सर्किट में कोई voltage apply किया जाता है तो कैपेसिटर जरूरत के हिसाब से store की हुई एनर्जी को रिलीज कर देता है।यह छोटे rechargeable battery की तरह काम करता है।

सबसे बेसिक capacitor डिजाइन में दो parallel conductors ( Metallic Plate) का इस्तेमाल होता है जिनको dielectric material(insulating medium) अलग करने का काम करती है ताकि चार्ज एक प्लेट से दूसरी प्लेट विस्थापित (migrate) ना कर पाए।

यही वजह है कि दोनों कंडक्टर (प्लेट) के बीच चार्जिंग लेवल अलग होता है और इलेक्ट्रॉनिक पोटेंशियल डिफरेंस देखने को मिलता है। Dielectric material में पेपर, प्लास्टिक, ग्लास, रबड़ आदि इस्तेमाल होता है|

जब एक voltage-source को capacitor से जोड़ा जाता है तो कैपेसिटर प्लेट चार्ज हो जाती है। जो भी source capacitor के positive terminal से जुड़ा होगा वो positively charge होगा वही दूसरी ओर source के negative terminal से जुड़ा कंडक्टर नेगेटिवेल चार्ज होगा।

यह बात ध्यान रखनी है कि capacitor plates से capacitor में चार्ज accumulation तत्कालीन नहीं होता अतः यह बदलने की प्रक्रिया धीरे होती हैं|

जब connected voltage source के बराबर capacitor का voltage ना हो जाए तब तक वह बढ़ता रहता है। इसलिए कैपेसिटर का इस्तेमाल AC current को allow करने के लिए तथा DC Current को block करने के लिए होता है।

कैपेसिटर का मात्रक (S.I Unit) फैरद farad है जिसको F से दर्शाया जाता हैं और इससे हो रहे प्रभाव को capacitance कहते हैं।

Standard Units of Capacitance

  • Microfarad (μF) 1μF = 1/1,000,000 = 0.000001 = 10-6 F
  • Nanofarad (nF) 1nF = 1/1,000,000,000 = 0.000000001 = 10-9 F
  • Picofarad (pF) 1pF = 1/1,000,000,000,000 = 0.000000000001 = 10-12 F

कैपेसिटर का कार्य: Functions Of Capacitor

कैपेसिटर क्या काम इसको पानी की टंकी के उदाहरण से समझते हैं| घर के नल में पानी आने के लिए, टंकी में पानी होना जरूरी है। अगर टंकी में पानी न हो तो क्या होगा?नल में पानी नहीं आएगा!

जैसे ऊपर दिए गए उदाहरण में टंकी पानी को जमा करने का काम कर रहा है उसी तरह कैपेसिटर एनर्जी को जमा करने का काम करता हैं।

वैसे तो कैपेसिटर को हम बहुत ही कम कार्य के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, तो चलिए उन सब को एक-एक करके जानते हैं:

1)कैपेसिटर में जमा किए हुए charge को कैमरा और बड़े-बड़े lasers में flash के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

2)इसका इस्तेमाल voltage pulsation को कम करने के लिए किया जाता है। जब DC voltage में ripples या spikes बन जाए तो बड़े कैपेसिटर का इस्तेमाल करके इन ripples को आसानी से हटाया जा सकता है।

3)कैपेसिटर का इस्तेमाल शोर को कम करने ( noise reduction) के लिए भी होता है।

अंतः कैपेसिटर के दो मुख्य कार्य होते हैं: पहला एनर्जी (energy)को जमा करके रखना और दूसरा AC Current को पास देना तथा DC Current को रोकना।

कैपेसिटर के फ़ायदे: Benefits Of Capacitor

1)यह एनर्जी (energy) को सीधे प्लेट पर जमा (store) करते हैं जिसके कारण charging या discharging बहुत जल्दी हो जाता हैं।

2)अनचाही frequency को करने में बहुत प्रभावी हैं।

3)यह तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं।

4)कैपेसिटर लगभग 10 से 15 वर्ष चलता हैं।

5)यह बिजली के नुकसान (power loss) को बड़ी ही आसानी से संभाल सकते हैं जिसकी वजह से बिजली उत्पादन अधिक किफायती बनाते हैं।

6)कैपेसिटर की मदद से high voltage उपकरणों को आसानी से नियंत्रण किया जा सकता हैं।

कैपेसिटर कैसे काम करता है: How Does Capacitor Works

हमने अभी तक जाना की कैपेसिटर एनर्जी जमा करता है, लेकिन कैसे?

कैपेसिटर के प्लेट की बैटरी पर अगर negative जोड़े तो उस पर नेगेटिव चार्ज जमा होता है वहीं दूसरी ओर अगर positive जोड़े तो उस पर पोस्टिव चार्ज जमा होता है।

यदि दोनों plates को पास लाया जाए तो दोनों पर विपरीत चार्ज होने के कारण आकर्षित (attract) होंगे लेकिन बीच में dielectric होने की वजह से electrostatic field की उत्पत्ति हो जाती हैं।

अब बैटरी हटाने पर इनके बीच पोटेंशियल डिफरेंस (potential difference) रहेगा और कोई भी कंडक्टर लगाने पर दोनो plates में करेंट फ्लो होने लगेगा।

इस जानकारी से आपको यह तो पता लगे या होगा कि capacitor एनर्जी produce नहीं करता बल्कि static electricity जमा करता हैं।

कैपेसिटर के प्रकार: Types of Capacitor

वैसे तो कैपेसिटर बहुत प्रकार के होते हैं लेकिन इस article में सिर्फ कुछ महत्वपूर्ण कैपेसिटर्स के बारे में जानेंगे।

मुख्यतः रूप से capacitor दो प्रकार के होती है: (i) Polarised capacitor(ii) Unpolarised capacitor

Polarised capacitor में positive और नेगेटिव का खास ध्यान रखना होता है वरना वो काम नही करते हैं वही दूसरी ओर Unpolarised capacitor में connections का इतना फ़र्क नही पड़ता हैं।

कुछ महत्वपूर्ण कैपेसिटर्स

1)Ceramic Capacitor

Cheap, reliable और low loss factor होने के कारण यह कैपेसिटर बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है।इसकी value range picofarads से 0.1 microfarads तक होता हैं। RF और audio में भी इसका इस्तेमाल किया जाता हैं।

2)Electrolytic Capacitor

इसमें alumunium की दो प्लेट होती हैं जिसमे से एक प्लेट oxidized फिल्म लेयर होती है जो dielectric का काम करती हैं वही दूसरी जो oxidized नहीं होती हैं वो cathode का काम करती हैं।

इसका इस्तेमाल अक्सर audio coupling, decoupling, power supplies जैसे एप्लीकेशंस केलिए किया जाता हैं।

3)Supercapacitor

इस कैपेक्टर को Supercapacitor या Ultracapacitor भी कहा जाता है क्योंकि इसकी capacitance value लगभग thousands farads तक हो सकती हैं।

Memory hold up supply और automotive applications में इनका ज्यादा इस्तेमाल किया जाता हैं।

4)Paper Capacitor

इस कैपेसिटर में conducting plate के बीच में मोम या तेल से impregnated कागज़ लगाया जाता हैं। इनकी range 0.001से 2.000 micro farad और voltage 2000V तक होता हैं।

5)Tantalum Capacitor

Tantalum capacitor में बहुत ही ज्यादा और high capacitance level हैं। लेकिन revised biased के प्रति intolerant होने के कारण अक्सर यह explode हो जाते है। इसको high ripple current और voltage में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

इसके अलावा और भी capacitors होते हैं जैसे: polystyrene Film Capacitor, Polyester Film Capacitor, Glass Capacitor, Silver Mica Capacitor।

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए पोस्ट में हमने कैपेसिटर बारे में विस्तार में जाना कि कैपेसिटर (Capacitor) कि कैपेसिटर एक energy storing डिवाइस है |मुख्यतः रूप से capacitor दो प्रकार के होती है| आगे हम ने जाना कैपेसिटर:उपयोग, बनाबट, प्रकार, मात्रक, फ़ायदे, आदि|

इसके बाद भी आपको अगर कैपेक्टिरो से जुड़ी कोई भी प्रशन हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

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आगे पढ़िए डायोड (Diode) क्या हे और कैसे काम करता हे ?

Capacitor Kya Hai in Hindi FAQ

कैपेसिटर क्या है और कैसे काम करता है?

कैपेसिटर एक एनर्जी जमा करने वाला डिवाइस हैं जिसमें energy इलेक्ट्रिकल चार्ज (electrical charge) के फॉर्म में स्टोर होता है। ऊपर दिए गए पोस्ट को पढ़कर आप विस्तार में जान सकते हैं कि कैपेसिटर (Capacitor) क्या है और कैसे काम करता है।

कैपेसिटर क्यों लगाया जाता है?

कैपेसिटर का उपयोग दो मुख्य कार्य होते हैं: पहला एनर्जी (energy)को जमा करके रखना और दूसरा AC Current को पास देना तथा DC Current को रोकना।

बैटरी और कैपेसिटर में क्या अंतर है?

बैटरी कैपेसिटर दोनों ही एनर्जी को जमा करने का काम करते हैं। फर्क यह है कि बैटरी एनर्जी को जमा करने के साथ-साथ प्रोड्यूस भी कर सकता है जबकि कि capacitor एनर्जी produce नहीं करता बल्कि static electricity जमा करता हैं|

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